दस साल से देश का स्यापा ही तो हो रहा था और अब विकल्प के रुप में तानाशाह का चेहरा सामने आ रहा, तभी किसी आम ने उम्मीद की किरण जगायी पर कुछ दिनों से वे भी खास नज़र आने लगे हैं और इन सबसे अधिक भरोसेमंद साथी ने बंगाल की राजनीति की ओर रूख कर लिया हैं, क्या होगा मेरे देश का ?
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